तमिलनाडु के बेलूर निवासी स्नेहा ने अनोखी नागरिकता का ऐसा प्रमाण पत्र हासिल किया है जो भारत में अब तक किसी भी नागरिक के पास नहीं है।
दरअसल बात ऐसी है कि 5 फरवरी 2022 को तिरुपत्तूर के तहसीलदार टीएस सत्यमूर्ति ने उन्हें (स्नेहा को)बिना जाति और बिना धर्म (No Cast, No Religion) वाला ( अनोखी नागरिकता ) प्रमाण पत्र सौंप दिया। अब किसी भी सरकारी दस्तावेजों में जाति व धर्म बताने तथा उसे लगाने की आवश्यकता नहीं पडे़गी।
हालांकि तिरुपत्तूर में वकालत कर रहीं स्नेहा को इसके लिए नौ साल तक लम्बा इन्तजार करना पड़ गया। परन्तु इस सफलता के बाद वह इसे एक सामाजिक बदलाव के तौर पर देख रहीं है। स्नेहा के अनुसार जाति और धर्म कुछ नहीं होता है । हम इंसान हैं। इसलिए इस देश के एक वकील होने के बाद नाते मैं इस जात-पात के बंधन को तोड़ना चाहती थी।
तहसीलदार को है अधिकार : हालांकि तहसीलदार को यह अधिकार होता है कि इस प्रकार का बिना जाति और धर्म वाला (अनोखी नागरिकता ) प्रमाण पत्र सत्यापन के बाद जारी कर सकता है। और इसी खास नियम के तहत स्नेहा को यह प्रमाण पत्र मिल सका।
जाति और धर्म बताने को अब बाध्य नहीं : स्नेहा कहती है कि कई अदालतों और सरकारी आदेशों के अनुसार किसी भी प्रमाणपत्रों में जाति तथा धर्म के उल्लेख के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। स्नेहा के माता-पिता ने अपनी तीनों बेटियों का नाम ऐसा रखा है ताकि जाति व धर्म का पहचान नहीं हो सके। स्कूल से लेकर अब तक के सभी काॅलम में सिर्फ भारतीय ही लिखा हुआ है।
कमल हासन ने तारीफ़ में ट्विट किया : अभिनेता कमल हसन ने स्नेहा के इस कदम का ट्वीट करके बधाई दी।
स्कूल के सभी दस्तावेज खंगाले गए : स्नेहा ने इस सर्टिफिकेट के लिए 2010 में ही आवेदन किया था , किन्तु तमाम अधिकारी उसे टालते रहे। तब सबसे पहले तिरुपत्तूर की उप जिलाधिकारी प्रियंका पंकजम ने इसे हरी झंडी दी। इसके लिए स्नेहा के सभी स्कूली दस्तावेज खंगाले गए।

अनोखी नागरिकता प्रमाण पत्र प्राप्तकर्त्ता स्नेहा अपनी पूरी फॅमिली के साथ।
इनके नाम भी यूनीक होते हैं : जहां स्नेहा के साथ – साथ इनकी दोनों बहनों का नाम भी नो कास्ट , नो रीलिजन को फॉलो करता है , वहीं स्नेहा भी अपने दोनों बेटियों का नाम ऐसा रखा है जिससे कोई उनका धर्म और जाति पहचान न सके। इनके नाम अधिरई नसरीन ,अधिला इरिन ,और आरिफा है जो बिल्कुल ही अलग है।