Poppy Flower बहुत ही लोकप्रिय है। इसके अलावे लोग दूसरे नामों से भी जानते हैं। क्या आपने “खसखस” का नाम तो सुना है। इसे लोग “पोस्ता” या “पोस्ट” के नाम से भी जानते हैं। इस पौधे का कई उपयोग है और आज के इस लेख में मैं आपको इसके बारे में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। जिसमें आपको कई रोचक तथ्य जानने को मिलेंगे।

पोस्ता के फूल की जानकारी
पॉपी के फूल को पोस्त या पोस्ता कहते है। यह एक फूल देने वाला प्लांट है। इसका उपयोग आमतौर पर घरो की सजावट के लिए किया जाता है। लेकिन इसके अलावा इसकी खेती भी की जाती है। पोस्त पॉपी कुल का ही एक पौधा है। यह भूमध्यसागर का निवासी माना जाता है।
Poppy Flower अर्थात खसखस पापावरेसी परिवार की सबफ़ैमिली- पापावेरोइडिया का एक फूल वाला पौधा है। यह शाकाहारी पौधा होता है, जिसे अक्सर उनके रंगीन फूलों के लिए उगाया जाता है। पोस्ता कई रंगों का होता है जैसे, पीला, सफेद, नीला, गुलाबी परंतु इसका सुप्रसिद्ध तथा लोकप्रिय प्रजाति है चटक सुर्ख नारंगी रंग का पोस्ता।
Poppy Flower का इतिहास
अफीम की एक प्रजाति, पापावर सोम्निफरम, मादक दवा अफीम का स्रोत है जिसमें मॉर्फिन जैसे शक्तिशाली औषधीय अल्कलॉइड पाया जाता है। प्राचीन काल से एक एनाल्जेसिक और मादक औषधीय और मनोरंजक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। यह खाद्य बीज भी पैदा करता है।
कहा जाता है कि अफीम के फूल 12 वीं शताब्दी के आस – पास तबाह हुए युद्ध के मैदानों पर उगते हैं। मुगल योद्धा चंगेज खान के द्वारा छोड़े गए युद्ध के मैदानों में सफेद पोपियां दिखाई दीं और प्रथम विश्व युद्ध की कुछ लड़ाइयों के बाद भी यह युद्ध क्षेत्रों में देखी गईं जैसे बेल्जियम के फ्लैंडर्स के खसखस क्षेत्र आदि में । इस प्रकार,ये पोपियां उन सैनिकों की याद में मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक बन गए हैं, खासकर यूके, यूएस और कनाडा में।। लाल खसखस गिरे हुए योद्धाओं का प्रतीक माना जाता है। और इसी के मद्देनजर संयुक्त राज्य अमेरिका में वयोवृद्ध दिवस मनाता है।
Poppy Flower : एक प्रतिबंधित पौधा
शुरुआत में पॉपी का फूल (Poppy Flower) भूमध्यसागर के आस पास पाया गया था। इसके बाद यह पूरी दुनिया में उगाया जाने लगा। वर्तमान समय में पोस्त की खेती भारत, एशिया माइनर, चीन, तुर्की जैसे कई देशों में मुख्य रूप से की जाती है। भारत में पॉपी की खेती उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में होती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि अफीम (Poppy Plant का एक उत्पाद) एक प्रतिबंधित नशीली पदार्थ है। इसलिए इसकी खेती करना गैरकानूनी है। पॉपी की खेती करने के लिए आबकारी विभाग द्वारा परमिशन लेने की आवश्यकता पड़ती है। अगर आप इसकी खेती बिना परमिशन के करते हैं, तो आपको सजा भी हो सकती है, क्योंकि Poppy Plant से अफीम निकाला जाता है, जो की पूरी तरह से गैरकानूनी होता है। अफीम एक नशीला पदार्थ है।
आपको बता दूँ “पोस्त”शब्द पश्तो भाषा से लिया गया है।
आकर्षक सजावटी पॉपी फ्लावर
पॉपी का पौधा जितना अधिक खूबसूरत और आकर्षक होता है उतना ही इसके विभिन्न कलर के फूल भी मनमोहक होता है। इसके फूलों का उपयोग अक्सर पार्टी-फंक्शनों में होता रहता है किन्तु इसका उत्पादन मुख्य रूप से अफीम की प्राप्ति के लिए करते हैं, क्योंकि अफीम एक महंगा पदार्थ होता है।
आपको बता दूँ कि पॉपी की कुछ प्रजातियों का उपयोग अफीम के लिए किया जाता है,जबकि कुछ प्रजातियों का उपयोग घर और बगीचों में फूलों के लिए किया जाता है। पॉपी के जिन फूलों को घर की सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उस पौधे को शर्ली पॉपीज कहते हैं।
अगर पोस्ता के पौधे की बात करूँ तो आमतौर यह लगभग 60 सेंटीमीटर तक ऊँचा होता है। लेकिन इसकी कुछ प्रजातियां में यह पौधा छोटा भी होता है। पोस्त के पौधे पर पत्तियां इसके तने से सीधी निकलती है। इन पत्तियां का रंग हल्का हरा होता है। इस पौधे की पत्तियां भी बहुत खूबसूरत होती है। पॉपी के ऊपर सफ़ेद, लाल, बैंगनी, पीले, और गुलाबी फूल खिलते हैं। इसके अलावा भी इसके फूल कई रंगों में पाया जाता है।
भौगोलिक स्थिति और पॉपी प्लांट का प्रकार
पॉपी फ्लावर (पैपेवर) की लगभग 50 अन्य प्रजातियां उनके आकर्षक फूलों और दिलचस्प रूप से कटे हुए पत्ते के लिए उगाई जाती हैं। इसके कुछ प्रजाति त्रिमासी, छमासी और बारहमासी पौंधे होते हैं। कुछ प्रजातियां मोनोकार्पिक होती हैं, जो फूलने के बाद मर जाती हैं। इसमें से सफेद-और-लाल या सफेद-और-गुलाबी शर्ली पोस्ता एक वार्षिक किस्म है जो मकई अफीम से विकसित होती है। लंबे सिर वाला अफीम मकई के अफीम के समान एक वार्षिक है। यह संकरा, पतला कैप्सूल और छोटे, हल्के फूलों के साथ पाया जाता है।साथ ही, आर्कटिक उत्तरी अमेरिका का आइसलैंड पोस्पी (पी. न्यूडिकौल), एक अल्पकालिक बारहमासी 30 सेमी लंबा है, जो सुगंधित सफेद, नारंगी, लाल, या द्विरंगी 8 सेमी फूलों के साथ उगता है। मोर पोस्पी (पी. पैवोनिनम) – लाल रंग की पंखुड़ियां, जिनके आधार पर 2.5 सेमी में गहरे धब्बे होते हैं यह 30 सेमी लंबे पौधों पर खिलते हैं।
Poppy Plant की विशेषता
अफीम, जिसमें से मॉर्फिन, हेरोइन, कोडीन और पैपावरिन प्राप्त होते हैं, यह पोस्ता (पापावर सोम्निफरम) के कच्चे बीज में दूधिया लेटेक्स से आता है। अफीम को इसके गैर-मादक पके बीजों के लिए भी उगाया जाता है, जिनका उपयोग मसाला, तेल और पके हुए माल में किया जाता है। सफेद-, गुलाबी-, और लाल-फूल वाले उपभेदों को डबल या सेमीडबल खिलने के साथ इसे बगीचे के सजाने के रूप में विकसित किया गया है।
पॉपी के सबसे ज्यादा पौधे लाल फूलों वाला देखने को मिलते है। इसके अलावा यह कई और रंगों में पाया जाता है, जैसे हलके बैंगनी, और सफ़ेद भी होते है। इस पौधे के ऊपर एक फल लगता है, पोस्ता के इस फूल को ‘डोडा’ कहते है। यह बहुत चिकना होता है, डोंडा फल का आकर अंडाकार होता है।
Poppy Plant से अफीम प्राप्ति के तरीके
पोस्ता(Poppy) के पौधे से अफीम निकलने के लिए किसान इसके फल जिसे डोंडा कहते हैं। कच्चे डोडे पर किसी तेज धार वाले चाकू से धारियां बनाते हैं। इसके बाद डोडे से कटे हुए भाग से दूध के जैसा चिपचिपा पदार्ध निकलता है, जब यह दूध सुखकर गाढ़ा हो जाता है, तो इसे डोडे के ऊपर से खुरच लिया जाता है और इस तरह से इसे इकट्ठा कर लिया जाता है।
यह सूखा हुआ पदार्थ ही अफीम होता है। जब पोस्त का फल सुख जाता है, तो इसके डोडे के छिलके को पानी में भिगोकर बचे हुए अफीम को भी निकल लिया जाता है। इसमें से मॉरफीन और कोडीन निकाले जाते हैं, ये दोनों दवाइयों के लिए उपयोग किये जाते हैं।
आमतौर पर, अफीम के अंदर 8 से 13 प्रतिशत तक मॉरफीन होता है, यह ज्यादा से ज्यादा 22.8 प्रतिशत तक जा सकता है। अगर बात करें कि अफीम की खेती से अफीम की कितनी मात्रा निकलता है, तो एक अनुमान के अनुसार यह एक एकड़ के खेत से करीब 125 kg तक अफीम निकला जा सकता है।
पॉपी के बीज (Poppy Seeds)
सिर्फ पॉपी के फूल और दूध(अफीम) ही नहीं बल्कि इसके बीज भी काफी कमाल के होते हैं जो कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। पॉपी के इस बीजों को खसखस या पोस्तदाना कहते हैं। इसके बीजों कई रंगो में होते हैं, जिनमें से Black-White और Blue बीज की डिमांड सबसे अधिक होती है। Poppy Seeds में तेल की मात्रा लगभग 40% से 60% तक पायी जाती है।
इन बीजों से निकला गया तेल खाद्य चीजों को पकने के लिए किया जाता है। पोस्त के बीजों का उपयोग मिठाई, और ठंडाई जैसी चीजे बनाने के लिए किया जाता है। खसखस के अंदर किसी भी तरह का नशीला पदार्थ नहीं होता है। खसखस को औषधियुक्त माना गया है।
खसखस मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। खसखस बालों के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। यह अपने पोस्टिक गुणों की वजह से बहुत अधिक लोकप्रिय है। उत्तराखंड में गढ़वाल जिले में पोस्ता के हरे पत्तों का उपयोग सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। उत्तर-पूर्वी भारत में खसखस(बीज) का उपयोग सब्जी बनाने तथा मुख्य रूप से मछली बनाने में किया जाता है। यह बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।
खसखस का तेल, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर होता है। इस तेल का उपयोग खाना पकाने, सलाद ड्रेसिंग करने या मार्जरीन जैसे उत्पादों में किया जाता है। खसखस का तेल केक या ब्रेड के लिए मसालों में भी मिलाया जा सकता है। खसखस उत्पादों का उपयोग विभिन्न पेंट, वार्निश और कुछ सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है।
Poppy Flower के विभिन्न किस्में
इसके करीब 50 से अधिक किस्में दुनियाँ भर में पायी जाती है। इसमें कुछ महत्त्वपूर्ण किस्में निम्न है –
- Papaver : – Papaver somniferum, Papaver rhoeas, Papaver cambricum, Papaver Oriental तथा Papaver nudicaule,
- एस्स्कोल्ज़िया – एस्स्कोल्ज़िया कैलिफ़ोर्निया
- मेकोनोप्सिस – मेकोनोप्सिस नैपॉलेंसिस
- ग्लौसियम – ग्लौसियम फ्लेवम तथा ग्लौसियम कॉर्निकुलटम सहित सींग वाली पोपियां(अफीम)
- स्टाइलोफोरम – कलैंडिन पोस्ता
- आर्गेमोन – कांटेदार खसखस
- रोमनेया – मातिलिजा अफीम और रिश्तेदार
- कैनब्या – बौना खसखस
- स्टाइलोमेकॉन – पवन खसखस
- आर्कटोमेकॉन – रेगिस्तानी भालू का खसखस
- हनीमैनिया – ट्यूलिप पोस्ता
- डेंड्रोमेकॉन – पेड़ खसखस
दवा के रूप में
प्राचीन काल में, मिस्र के डॉक्टर दर्द से राहत पाने के लिए अपने मरीज़ों को खसखस के बीज को खाने के लिए कहते थे। चूंकि खसखस में मॉर्फिन और कोडीन दोनों की थोड़ी मात्रा होती है, जो दर्द निवारक के रूप में उपयोगी होता है। इसका उपयोग आज भी किया जाता है। खसखस और स्थिर तेल भी गैर-मादक हो सकते हैं, जब फूल खिलने के करीब बीस दिन बाद उसे काटा जाय क्योंकि उस समय तक उसमें मॉर्फिन उपलब्ध नहीं रहता है।
विज्ञापन देना
पोस्ता इतना महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध उत्पाद है कि मेक्सिको में, कोरोना बियर के निर्माता ग्रुपो मॉडलो के द्वारा 1960 के दशक तक अपनी अधिकांश विज्ञापन छवियों में लाल खसखस के फूलों का इस्तेमाल किया करता था।
धन का बड़ा स्त्रोत
अफीम के महंगा होने के कारण ही यह बड़े-बड़े माफिया का यह बड़ा धंधा का स्रोत बन गया है जिससे वे बड़ी मात्रा में धन को एकत्र करते हैं और फिर उससे वे अपना जुर्म की दुनियाँ को चलाते हैं। इसलिए कई देशों में अफीम का बड़ा काला बाजारी और गोरखधंधा होता है।
अफीम से उस देश की सरकार को बड़ा राजस्व प्राप्त होता है जहां इसकी खेती होती है। परंतु शर्ते यह होती है कि इसकी खेती सरकार के अनुमति से हो रही हो अन्यथा सरकार इसे नष्ट कर देती है।
कनाडा 2004, 2008, 2010 और 2015 ईसवीं में रिवर्स पर लाल पोस्ता के साथ विशेष क्वार्टर (25-प्रतिशत के सिक्के) जारी किया। 2004 का कनाडाई “पॉपी” क्वार्टर दुनिया का पहला रंगीन परिसंचरण सिक्का था।
साथ ही, इसकी महत्ता इस बात से आप लगा सकते हैं कि 1996 और 2003 में जारी मैसेडोनियन 500-डेनार बैंकनोट के पीछे एक अफीम के फूल को दर्शाया गया है और यह उत्तरी मैसेडोनिया में हथियारों के विशाल कोट का भी हिस्सा है।
कृत्रिम पॉपपीज़ का उपयोग वेटरन्स ऑफ़ फ़ॉरेन वॉर्स द्वारा वयोवृद्धों के सहायता अभियान में किया जाता है, जो उन दिग्गजों को धन प्रदान करता है जो इन्हें इकट्ठा करते हैं और उनके परिवारों को अनेक प्रकार से सहायता प्रदान करते हैं।
एक प्यारा नाम
वैसे poppy (पॉपी) सिर्फ अफीम का ही नाम नहीं हो सकता है। सुनने में काफी प्यारा है तो आप अपने घर में आयी नन्हीं परी का भी नाम “पॉपी” रख सकते हैं।
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Note :– यह लेख पोस्ता के फूल के बारे में था। जिसमें आपको Poppy Flower के बारे में पूरी जानकारी देने का भरपूर प्रयास हमनें किया है। उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आएगा। आपको यह लेख कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद।